अमेरिका में नौकरी छोड़ लौटे भारत, इस छोटे से गांव में शुरू की कंपनी, आज करोड़ों में है टर्नओवर

 Example of overcoming adversity: अमेरिका में नौकरी छोड़ लौटे भारत, इस छोटे से गांव में शुरू की कंपनी, आज करोड़ों में है टर्नओवर

Success story: श्रीधर वेम्बू
Success story: श्रीधर वेम्बू 



Example of overcoming adversity: श्रीधर वेम्बू अमेरिका में अच्छी जॉब कर रहे थे। दो साल तक नौकरी करने के बाद वह जॉब छोड़कर भारत वापस लौट आए। श्रीधर वेम्बू ने साल 1996 में वेम्बू ने अपने भाई के साथ मिलकर एडवेंटनेट नाम से एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म की शुरुआत की थी। इस कंपनी का नाम बाद में बदलकर जोहो कॉरपोरेशन रखा गया।


नई दिल्ली: कामयाबी के लिए ज्यादातर लोग विदेश में जाना पसंद करते हैं। लेकिन अगर आप काबिल हैं तो आपको सफलता जरूर मिलती है। दुनिया में अधिकांश लोगों का सपना बड़े शहरों में रहने और विदेशी में मोटी सैलरी वाली नौकरी करने का होता है। अगर किसी को शानदार पैकेज वाली जॉब मिल जाए तो वह अपने आपको बहुत भाग्यशाली समझता है। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपना खुद का कारोबार शुरू करने के लिए मोटी सैलरी वाली जॉब छोड़ने से भी पीछे नहीं हटते हैं। श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu) ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। श्रीधर वेम्बू अमेरिका में अपनी अच्छी खासी जॉब को छोड़कर भारत वापस लौट आए और यहां छोटे से गांव में उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की थी। आज वह कंपनी 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की हो चुकी है। आईए आपको बताते हैं श्रीधर वेम्बू ने इतनी सफलता कैसे हासिल की।


मिडिल क्लास फैमिली में हुआ जन्म


श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu) तमिलनाडु की एक मिडिल क्लास फैमिली में पले बढ़े। तमिल भाषा में प्राइमरी एजुकेशन पूरी की। आईआईटी मद्रास से 1989 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए थे। यहां उन्होंने सैन डिएगो स्थित क्वालकॉम में नौकरी शुरू की। लगभग 2 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया। इसके बाद वे भारत लौट आए।


गांव से की शुरुआत


श्रीधर अमेरिका की अच्छी-खासी जॉब छोड़कर भारत आए तो सभी हैरान रह गए, उन्होंने श्रीधर को खूब समझाया, लेकिन श्रीधर ने किसी की नहीं सुनी। श्रीधर वेम्बू ने सोच लिया था कि वे भारत में रहकर अपना बिजनस शुरू करेंगे। साल 1996 में वेम्बू ने अपने भाई के साथ मिलकर एडवेंटनेट नाम से एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म की शुरुआत की। साल 2009 में इस कंपनी का नाम बदलकर जोहो कॉरपोरेशन (Zoho Corp) कर दिया गया। उन्होंने अपनी कंपनी के ऑफिस के लिए किसी मेट्रो सिटी के बजाय तमिलनाडु के तेनकासी जिले को चुना था। यहां उन्होंने अपनी कंपनी का ऑफिस बनाया।


करोड़ों में रेवेन्यू


जोहो का ऑफिस बनने के चलते ही तेनकासी को जिले का दर्जा मिला। श्रीधर ने पास के माथलमपराई गांव में एक पुरानी फैक्ट्री खरीद कर उसे परिसर में बदल दिया। आज, हमारे पास तेनकासी में करीब 500 कर्मचारी कार्यरत हैं। जोहो का रेवेन्यू साल 2022 में 1 अरब डॉलर यानी करीब 8,300 करोड़ रुपये को पार कर चुका था।

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